Department of Hindi

बी0 एन0 कॉलेज , पटना विश्वविद्यालय, पटना की एक अंगीभूत इकाई है। इसकी स्थापना सन् 1889 ई. में दो सुयोग्य सुविज्ञ – बाबू विश्वेश्वर सिंह और शालीग्राम सिंह द्वारा की गई थी। बिहार के शिक्षा जगत् में पहले स्वतंत्र महाविद्यालय बी0 एन0 कॉलेज का इतिहास सर्वोपरि है। यहाँ विज्ञान एवं कला दोनों संकायों की पढ़ाई हो रही है। महाविद्यालय के अंतर्गत हिन्दी विभाग का इतिहास अपने-आप में विशिष्ट है। महाविद्यालय के स्थापना काल से ही यहाँ हिन्दी विभाग सुचारु रूप से कार्य कर रहा है। पहले विभागाध्यक्ष डॉ. जर्नादन मिश्र का हिन्दी विभाग के विकास में उल्लेखनीय योगदान रहा है। यहाँ रहे प्रकांड शिक्षकों की सूची निम्न प्रकार है – प्रो. केसरी कुमार, प्रो. सूरज प्रसाद सिंह, मेजर प्रो. तेज नारायण सिंह, प्रो. सीताराम शर्मा, पद्मनारायण सिंह, डॉ. शैलेन्द्र नाथ श्रीवास्तव, डॉ. केदारनाथ सिंह कलाधर, प्रो. दिनेश प्रसाद सिंह, प्रो. बलराम तिवारी, सुकवि प्रो. सुरेन्द्र स्निग्ध, प्रो. बिलट पासवान शास्त्री, डॉ. दिलीप राम एवं वर्तमान विभागाध्यक्ष डॉ. विजय कुमार।

        यहाँ के कई शिक्षक साहित्य एवं सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्र में भी अमूल्य योगदान दे चुके हैं। दूसरे विभागाध्यक्ष प्रो. केसरी कुमार हिन्दी कविता के एक प्रमुख वाद ‘नकेनवाद’ के प्रवर्तकों में से एक थे। डॉ. शैलेन्द्र नाथ श्रीवास्तव पटना संसदीय क्षेत्र से लोकप्रिय सांसद रह चुके हैं। प्रो. बिलट पासवान शास्त्री दो-दो विश्वविद्यालयों के उपकुलपति पद को सुशोभित किया है तथा बिहार लोकसेवा आयोग के सदस्य भी रह चुके हैं। इसके अतिरिक्त बी0 एन0 कॉलेज के हिन्दी विभाग के कई शिक्षक पटना विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं।

वर्तमान समय में विभागाध्यक्ष डॉ. विजय कुमार के नेतृत्व में विभाग के पठन-पाठन एवं देखभाल का कार्य सुचारु रूप से संचालित हो रहा है। हिन्दी प्रतिष्ठा के तीनों खण्डों में छात्र-छात्राओं की संख्या पर्याप्त है एवं हिन्दी से जुड़े सभी वर्गों का ससमय संचालन होता है। हिन्दी प्रतिष्ठा के साथ-साथ हिन्दी विभाग के शिक्षकों द्वारा पूरे महाविद्यालय हेतु हिन्दी के वैकल्पिक पत्र, हिन्दी एवं अहिन्दी भाषी छात्र-छात्राओं के लिए अनिवार्य भाषा पत्र की कक्षाओं का भी संपादन किया जाता है।

         यहाँ के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा समय-समय पर विभिन्न प्रकार के पत्र-पत्रिकाओं का भी शुभारंभ किया जाता रहा है। विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास हेतु सन् 2015 में विभाग द्वारा एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया था। यहाँ से पढ़ने वाले विद्यार्थी हर वर्ष विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में चयनित होते रहे हैं। देश एवं राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में भी यहाँ से पढ़े विद्यार्थियों का सहायक प्रोफेसर के रूप में चयन हुआ है। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी हिन्दी विभाग के कई विद्यार्थी अपना परचम लहरा रहे हैं। हिन्दी प्रतिष्ठा के विद्यार्थियों का परीक्षाफल भी विश्वविद्यालय के उच्च शिखर पर है।  



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