Department of Maithili
मैथिली अपनी कोमलता और मिठास के लिए प्रसिद्ध है, जो विश्व की मधुरतम व समृृद्ध भाषा है। कोलबु्रक महोदय ने इसे बंगाल से संबद्ध माना है। परन्तु सर जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन, डाॅ० सुनीति कुमार चटर्जी, डाॅ० उदयनारायण तिवारी, डाॅ० सुधाकार झा शास्त्री प्रभृृति भाषाविदों ने एक स्वतंत्र भाषा के रूप मे स्वीकार किया है। मैथिली भाषा का इतिहास लगभग 700 सौ वर्ष पुराना है। इस सात सदियों मे मैथिली भाषा किस प्रकार अवतरित होकर विभिन्न अवस्थाओं से गुजरते हुए आज विश्व के एक महत्वपूर्ण एवं समृृद्धशाली भाषा बना है। भारतीय संविधान कि अष्ठम्् सूची में भारत के मान्यता प्राप्त 22 भाषाएँ शामिल है। इन 22 भाषाओं में मैथिली भी है। जिसे वर्ष 2003 ई० मंे इस भाषा की साहित्यिक महत्व व विशाल क्षेत्र को देखते हुए शामिल किया गया है। मैथिली भाषा के विकास के लिए शुरू से ही पटना काॅलेज में स्नातक एवं स्नातकोत्तर विषय में पढ़ाई शुरू किया गया। पटना विश्वविद्यालय के बी0 एन0 काॅलेज में भी स्नातक प्रतिष्ठा में इस विषय की शुरूआत 1-7-1977 ई0 से शुरू किया गया। इस विषय की पढाई की शुरूआतकर्ता डाॅ. फुलेश्वर मिश्र थे जो प्रथम विभागाध्यक्ष बने।
मैथिली विभाग की विभागाध्यक्षों एवं प्राध्यापकों की सूची इस प्रकार हैं।
- डाॅ. फुलेश्वर मिश्र, एम० ए०, पी-एच० डी०, 01-04-1977 से, 06-03-1987 तक विभागाध्यक्ष के पद पर रहें।
- प्रो. (डाॅ.) वीरेन्द्र झा, एम० ए०, पी-एच० डी०, 20-01-1983 को बी० एन० काॅलेज के मैथिली विभाग में योगदान दिए। 06-03-1987से, 31-01-2009 तक लगातार विभागाध्यक्ष रहें। इसके बाद इनका स्थानान्तरण विश्वविद्यालय अध्यक्ष के पद पर स्नातकोत्तर मैथिली विभाग में हो गया जो अभी विश्वविद्यालय प्राचार्य के पद पर आसीन हैं।
- प्रो. (डाॅ.) सत्यनारायण मेहता, एम० ए०, पी-एच० डी०, 06-03-1986 से, 01-05-1999 तक प्राध्यापक के पद पर रहें, इसके बाद इनका स्थानान्तरण स्नातकोत्तर मैथिली विभाग में हो गया जो अभी विश्वविद्यालय प्राचार्य एवं अध्यक्ष के पद पर आसीन हैं।